कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति )
( प्रोलोग )
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कभी यादों में आओ
कभी ख्वाबों में आओ
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुशबू नहीं जो
हवा में खो जाओ....
ये गाना कार में तेज आवाज में बज रहा था । और वो कार पेड़ से लड़कर खड़ी थी । बोनट खुल चुका था और उसमें से धुएं निकल रहे थे । ड्राइविंग सीट पर बैठी औरत दर्द से चिल्ला रही थी । उसने अपना पेट पकड़ हुआ था जो कि काफी मोटा था । शायद वो लड़की मां बन ने वाली थी । उस लड़की के सर से लगातार खुन बह रहा था । गले पर खरोंचों के निशान थे जो शायद हादसे के वक्त लगे हो ।
उस लड़की ने बड़ी मुश्किल से पेसेनजर सीट पर पड़ा अपना फोन उठाया लेकिन उसका फोन टुट चुका था । लड़की ने चिल्लाकर वो फोन फेंक दिया ।
लड़की ने किसी तरह कार का दरवाजा खोला और बाहर निकली । वो सड़क पर देखने लगी । था तो वो एक रिहायेशी इलाका पर इस समय वहां कोई नहीं था । रात का समय था तो सब अपने घरों में अपने परिवार के साथ थी ।
लड़की ने किसी तरह खुद को संभाला और पास के ही एक घर का गेट खटखटाने लगी ।
इतनी रात को किसी के गेट खटखटाने कि वजह से घर का मालिक चिढ़ के मारे उठ कर आया और दरवाजा खोल कुछ बोलने को हुआ कि सामने खड़ी लड़की को देख हैरान हो गया ।
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एप्सन हॉस्पिटल ( काल्पनिक)
रात के एक बजे
आप्रेशन ठीएटर
उस लड़की का ईलाज चल रहा था । बाहर उस घर का आदमी बैठा था । पास ही में कुछ लोग खड़े थे जो शायद उस अंजान लड़की के परिवार वाले थे । सब के चेहरों पर परेशानी की लकीरें थी ।
तभी दरवाजा खुलता है और डॉ ० अपने हाथ में पकड़े एक बच्चे को लेकर आती है । वो लड़की के परिवार कि तरफ देख बोली " इट्स आ बेबी बॉय । "
परिवार वालों के चेहरे से परेशानी के भाव थोड़े से कम होते हैं लेकिन डॉ० कि आगे कि बात सुन सबकी हवाइयां उड़ जाती है । उस आदमी कि भी जिस के घर का दरवाजा उस अंजान लड़की ने खटखटाया था ।
डाक्टर " हमें बताते हुए बहुत खेद है लेकिन हम मां को नहीं बचा पाए । खुन बहुत ज्यादा बह चुका था । मां पहले ही बहुत इंजर्ड थी । सॉरी। "
डॉ बच्चे को किसी को थामने को कहती हैं । तो एक 27-28 साल का आदमी आगे आता है और बच्चे को गोद में उठा लेता है । वो उसका बाप था।
उस आदमी के आंखों से आंसु बह रहे होते हैं । सारा परिवार रो रहा होता है ।
जो उस लड़की को अस्पताल लाया था वो आदमी भी परेशान हो जाता है । लड़की कि मौत से वो भी दुखी था । ना सिर्फ उस परिवार के लिए बल्कि उस अभी-अभी जन्मे बच्चे के लिए भी । जिसने एक बार भी अपनी मां को महसुस नहीं किया । उसे छुआ नहीं । देखा नहीं ।
इन सब से दुर खड़ा एक आदमी जिसने खुद को दीवार की ओट में छुपा रखा था । वो उन सब लोगों कि तरफ देख रहा था । वो आदमी पुरा का पुरा सफेद कपड़ों में ढका था ।
उस परिवार को रोते देख उस आदमी कि आंखों में एक चमक आ गई ।
उसने जुनुन से बोला " मैं रोया था ये भी रोएगा ... मैंने भी खोया था ये भी खोएगा । "
उस आदमी के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है । और वो अपनी पेंट कि जेब में हाथ डाल वहां से चला जाता है ।
जारी है !
नई कहानी , नया सफर ! लेट्स डाइव इंटर द वर्ल्ड ऑफ मिस्ट्री एंड मर्डर !
बाई वर्तिका रीना